झूठ का अंत
एक जंगल का राजा शेर बूढ़ा हो चुका था , धीरे-धीरे उसका शरीर क्षीण एवं दुर्बल होता गया , और एक दिन उसने अपने प्राण त्याग दिए ।
उस जंगल में बहुत से सियार थे , उनमें से एक सियार जो बहुत ही चतुर था उसने सोचा कि अब जंगल में कोई भी राजा नहीं है क्यों ना मैं ही जंगल का राजा बन जाऊं ?
उसके दिमाग में एक युक्ति सूझी कि जंगल का राजा बनने के लिए मुझे सब सियारों से अलग दिखना पड़ेगा तभी सब जंगल वासी मुझे आदर की दृष्टि से देखेंगे और मेरे आदेशों का पालन करेंगे , इसलिए क्यों ना मैं इस मरे हुए शेर की खाल को ओढ़ कर शेर जैसे व्यवहार का नाटक करूँ ? और जंगल में यह बात फैला दूं कि शेर की आत्मा उसके शरीर में प्रवेश कर चुकी है , जिससे लोग उससे डरेंगे और उसकी बातों पर विश्वास कर पालन करने के लिए बाध्य होंगे।
इस तरह उस सियार ने मरे हुए शेर की खाल को उतारकर उसे पहन लिया और नकली शेर बन गया। जंगल में यह बात आग की तरह फैल गई कि शेर की आत्मा एक सियार के शरीर में प्रवेश कर गई है , और वह शेर बन चुका है।
जंगल के वे सभी जानवर जो शेर के निधन से दुःखी थे ,वे इस बात को सुनकर खुश हुए कि शेर की आत्मा हम लोगों के बीच में है जो हमारा मार्गदर्शन करेगी।
इस प्रकार उसे नकली शेर को देखने के लिए आने वालों का तांता सा लग गया , सभी कुछ ना कुछ उपहार लेकर उसे देखने एवं उसका आशीर्वाद लेने आने लगे।
यह सब देखकर वह नकली शेर बहुत खुश हुआ कि उसकी युक्ति कामयाब हो गई। उसने अपने चाटुकारों की एक फौज तैयार कर ली जो उसके शासन के विभिन्न विभागों को संभालने लगे।
इस तरह उसे नकली शेर बने सियार के दिन खुशी से गुजरने लगे। वह शेर की आत्मा का नाटक कर लोगों को सलाह एवं आदेश देने लगा और लोग भी उसकी बात को मानकर उनका पालन करने लगे।
परंतु यह हंसी खुशी के दिन बहुत दिन नहीं चले ,
क्योंकि पास वाले जंगल के शेर के पास
उड़ती -उड़ती यह खबर पहुंची कि किसी सियार के शरीर में मृत जंगल के राजा शेर की आत्मा ने प्रवेश कर लिया है, और वह उसके माध्यम से जंगल की सरकार चला रहा है।
उसका माथा ठनका उसने सोचा क्या ऐसा भी हो सकता है ? उसे लगा कि इसके पीछे छुपा कोई रहस्य है जिसकी सच्चाई का पता करना पड़ेगा।
अतः उसने इस बात के पीछे रहस्य का पर्दाफाश करने की ठान ली और वह नकली शेर बने सियार से दो-दो हाथ करने के लिए उसके जंगल में आ धमका।
पड़ोस के जंगल के शेर को अपने सामने देख उस नकली शेर बने सियार की सिट्टी- पिट्टी गुम हो गई ।
फिर भी उसने अपनी घबराहट को छुपाते हुए उस शेर का औपचारिक स्वागत किया एवं उससे वहां पधारने का मंतव्य पूछा ?
तब उस शेर ने कहा कि यह एकअद्भुत अपरिकल्पनीय घटना है जब आपने अपनी मृत्यु के पश्चात जंगल के कल्याण के लिए सियार के शरीर में प्रवेश किया है , और शासन की बागडोर संभाल ली है।
परंतु इस विषय में मेरी कुछ शंकाऐं है !
जिनका समाधान खोजने के लिए मैं आपके समक्ष प्रस्तुत हुआ हूं !
प्रथम, जब आपकी आत्मा ने सियार के शरीर में प्रवेश कर लिया है तब सियार की आत्मा का क्या हुआ ?
क्या वह मृत्यु को प्राप्त हो उसकी आत्मा अनंत शून्य में विलीन हो गई ?
द्वितीय, जब आपकी आत्मा सियार के शरीर में प्रविष्ट हो चुकी है तो आपकी वाणी शेर की वाणी ना होकर सियार की वाणी क्यों है ?
तृतीय, आपका दैनिक आचार एवं व्यवहार शेरों सा ना होकर सियार सा क्यों है ?
सियार के पास उन प्रश्नों का कोई उत्तर नहीं था ,
उसने स्वप्न में भी नहीं सोचा था कि उसे इस प्रकार के प्रश्नों का सामना करना पड़ेगा।
उसने सोचा था कि वह नाटकीयता के बल पर लोगों का विश्वास मत हासिल कर सकेगा।
पर यहां तो पासा उल्टा पड़ गया था।
लोगों के सामने उसकी असलियत का पर्दाफाश हो चुका था।
जंगल के जानवरों में उसकी असलियत जानकर उसके प्रति आक्रोश बढ़ रहा था।
उसने लोगों के चंगुल से भागने की भरसक कोशिश की परन्तु लोगों की भीड़ ने उसे पीट-पीटकर
उसकी इह-लीला वहीं समाप्त कर दी।
लोगों ने पास वाले उस जंगल के शेर का अभिनंदन किया कि उसने उनकी आंखें खोल दीं थी , और उससे अनुरोध किया कि वह इस जंगल की बागडोर भी संभाल ले।
जंगल के समस्त जीवों का उसके प्रति प्रेम देखकर शेर उनके अनुरोध को अस्वीकार ना कर सका और उसने दोनों जंगलों पर अनेक वर्षों तक एकछत्र शासन किया।