“झूठ और सच”
झूठ और सच तेरे चहरे पर झलकता है,
??कि आज भी तुम्हे राज छुपाना नहीं आया।
हकीक़त भी यही है, और फ़साना भी यहीं है,
??फिर भी तुम्हें रिश्ता निभाना नहीं आया।
झूठ और सच तेरे चहरे पर झलकता है,
??कि आज भी तुम्हे राज छुपाना नहीं आया।
हकीक़त भी यही है, और फ़साना भी यहीं है,
??फिर भी तुम्हें रिश्ता निभाना नहीं आया।