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31 Mar 2021 · 1 min read

झूठे

आजकल अपने आप से ही हम ,रूठे रूठे रहते है।
सुख की बातें बेमानी हैं ,सब झूठे झूठे लगते है।
किससे मिलना, किससे जुलना ,तय तमाम हो पाता नहीं,
इस बेपरवाह जिंदगी में ,बेगाने समूचे लगते हैं।
-सिद्धार्थ पाण्डेय

Language: Hindi
Tag: शेर
376 Views
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