झूठी हमदर्दी दिखा
जीते जी तो कभी हालात ए ख़ैरियत ना पूछेंगे ना कभी समझेंगे?
मेरे मरने के बाद क्या खूब? झूठी हमदर्दी दिखा आँसू जरूर बहाएंगे?
जीते जी ही किसी के हालाती ज़ज्बातों को समझें तो सही कोई?
फिर देखो की ये नेकी किसी जऱूतमंद के हौसले जरूर बढ़ाएंगे?
शायर- किशन कारीगर
(©काॅपीराईट)