Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Jan 2024 · 1 min read

*झूठी शान चौगुनी जग को, दिखलाते हैं शादी में (हिंदी गजल/व्यं

झूठी शान चौगुनी जग को, दिखलाते हैं शादी में (हिंदी गजल/व्यंग्य)
_________________________
1)
झूठी शान चौगुनी जग को, दिखलाते हैं शादी में
धनी लुटाकर धन को निर्धन, बन जाते हैं शादी में
2)
अकड़ दिखाते राजा जैसी, ऊॅंची किसी रियासत के
मरियल जन भी बाराती बन, जब आते हैं शादी में
3)
मध्यम वर्ग तड़प उठता है, उल्टे-सीधे खर्चों से
रिश्तेदार खर्च जब उससे, करवाते हैं शादी में
4)
आधा खाया आधा फेंका, चलन चल रहा जोरों से
कूड़ेदान महक उठते हैं, जब खाते हैं शादी में
5)
इतनी थी प्रति-प्लेट हमारी, इतना दिया लिफाफा था
बेशर्मी से मेजबान कुछ, गिनवाते हैं शादी में
———————————–
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615 451

233 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
“त्याग वही है, जो कर के भी दिखाया न जाए, यदि हम किसी के लिए
“त्याग वही है, जो कर के भी दिखाया न जाए, यदि हम किसी के लिए
Ranjeet kumar patre
एक आप ही तो नही इस जहां में खूबसूरत।
एक आप ही तो नही इस जहां में खूबसूरत।
Rj Anand Prajapati
आशा की एक किरण
आशा की एक किरण
Mamta Rani
हम तो मर गए होते मगर,
हम तो मर गए होते मगर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
चमकते सूर्य को ढलने न दो तुम
चमकते सूर्य को ढलने न दो तुम
कृष्णकांत गुर्जर
" माप "
Dr. Kishan tandon kranti
कभी ग़म से कभी खुशी से मालामाल है
कभी ग़म से कभी खुशी से मालामाल है
shabina. Naaz
हम हमेशा साथ रहेंगे
हम हमेशा साथ रहेंगे
Lovi Mishra
"काम करने का इरादा नेक हो तो भाषा शैली भले ही आकर्षक न हो को
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
विश्व कविता दिवस
विश्व कविता दिवस
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
...
...
*प्रणय*
मैं ना जाने क्या कर रहा...!
मैं ना जाने क्या कर रहा...!
भवेश
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जीवन की सुरुआत और जीवन का अंत
जीवन की सुरुआत और जीवन का अंत
Rituraj shivem verma
आग़ाज़
आग़ाज़
Shyam Sundar Subramanian
*आईं माता शारदा, बना दिया विद्वान (कुंडलिया)*
*आईं माता शारदा, बना दिया विद्वान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
जय श्रीराम हो-जय श्रीराम हो।
जय श्रीराम हो-जय श्रीराम हो।
manjula chauhan
New88.co.uk là đại lý chính thức của nhà cái new88. Trang we
New88.co.uk là đại lý chính thức của nhà cái new88. Trang we
new88couk
4490.*पूर्णिका*
4490.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
छोड़ दिया है मैंने अब, फिक्र औरों की करना
छोड़ दिया है मैंने अब, फिक्र औरों की करना
gurudeenverma198
बस इतना सा दे अलहदाई का नज़राना,
बस इतना सा दे अलहदाई का नज़राना,
ओसमणी साहू 'ओश'
बचपन जी लेने दो
बचपन जी लेने दो
Dr.Pratibha Prakash
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
नव वर्ष हैप्पी वाला
नव वर्ष हैप्पी वाला
Satish Srijan
चन्द्रयान तीन क्षितिज के पार🙏
चन्द्रयान तीन क्षितिज के पार🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
जिस घर में---
जिस घर में---
लक्ष्मी सिंह
"हमें चाहिए बस ऐसा व्यक्तित्व"
Ajit Kumar "Karn"
ज़िंदगी का सफ़र
ज़िंदगी का सफ़र
Dr fauzia Naseem shad
ग़ज़ल _ गुज़र गया वो ख्वाब था , निखर गया वो हाल था ,
ग़ज़ल _ गुज़र गया वो ख्वाब था , निखर गया वो हाल था ,
Neelofar Khan
ना कहीं के हैं हम - ना कहीं के हैं हम
ना कहीं के हैं हम - ना कहीं के हैं हम
Basant Bhagawan Roy
Loading...