झूठा स्त्रीवाद
एसी वाले कमरों में बैठकर
हाथ में मोबाइल पकड़ कर
धार्मिक कार्यों में शामिल होकर
पूर्णिमा का व्रत रखकर
माता और पिता से शर्माकर
ससुराल और पति से डरकर
हर रोज मंदिर में जाकर
सिर पर साड़ी रखकर
व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी में पढ़ कर
अपनी ही जात धर्म में प्रेम कर
एक जात-बिरादरी में शादी कर
अपने घर में चुप रह कर
अपना स्वयं तय कर कर
खूब सारा मेकअप कर
माथे पर बिंदी लगाकर
हाथों में चूड़ी पहन कर
पैरों में पायल पहन कर
आपस में भेदभाव कर
आप कहते हैं कि हम
स्त्री समाज की
आवाज उठा रहे हैं ?
– दीपक कोहली