झूठा यार
झूठा यार
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दिखता तो है मोम मगर वह
धोखा केवल देता है
ऑक्सीजन भी डर जाता जब
लम्बी साँसे लेता है
प्राण वायु पीता है लेकिन
ज़हर उगलता है इतना
पत्ते भी मुरझा जाते हैं
सहन करे कोई कितना
जिसको खुद से ज्यादा माना
यार वही तो झूठा है
सच सन्मुख आया है जबसे
देखो कैसे रूठा है
चिकनी-चुपड़ी बातों में तुम
भाई उसके मत आना
मौका पाकर खा जाएगा
तेरे मुँह का भी दाना
– आकाश महेशपुरी