Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jan 2024 · 1 min read

झूठा फिरते बहुत हैं,बिन ढूंढे मिल जाय।

झूठा फिरते बहुत हैं,बिन ढूंढे मिल जाय।
रहते हैं वो साथ में, अंदर अंदर खाय।।।
अंदर अंदर खाय, निराली बातें उसकी।
हर बातों में उसे, छूटे है प्यारी मुस्की।।
हो प्यासा गंभीर, रहे वो बहुत अनूठा ।
साबित करना उसे, बहुत मुश्किल है झूठा।।
–“प्यासा”

190 Views

You may also like these posts

यह जो कानो में खिचड़ी पकाते हो,
यह जो कानो में खिचड़ी पकाते हो,
Ashwini sharma
जब मुझको कुछ कहना होता अंतर्मन से कह लेती हूं ,
जब मुझको कुछ कहना होता अंतर्मन से कह लेती हूं ,
Anamika Tiwari 'annpurna '
काली एली अंगना
काली एली अंगना
उमा झा
अब कहां वो बात रही
अब कहां वो बात रही
अनिल कुमार निश्छल
सच तो हम और आप ,
सच तो हम और आप ,
Neeraj Agarwal
वक्त घाव भरता मगर,
वक्त घाव भरता मगर,
sushil sarna
How can I forget
How can I forget
VINOD CHAUHAN
परिचय
परिचय
Rambali Mishra
जगमग जगमग दीप जलें, तेरे इन दो नैनों में....!
जगमग जगमग दीप जलें, तेरे इन दो नैनों में....!
singh kunwar sarvendra vikram
हौसला अपना आजमाएंगे
हौसला अपना आजमाएंगे
Dr fauzia Naseem shad
कमली हुई तेरे प्यार की
कमली हुई तेरे प्यार की
Swami Ganganiya
"साभिमान"
Dr. Kishan tandon kranti
फितरते फतह
फितरते फतह
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
आप को मरने से सिर्फ आप बचा सकते हैं
आप को मरने से सिर्फ आप बचा सकते हैं
पूर्वार्थ
सच्ची कविता
सच्ची कविता
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
जीवन
जीवन
Madhuri mahakash
XOILAC TV là kênh xem bóng đá trực tiếp miễn phí được người
XOILAC TV là kênh xem bóng đá trực tiếp miễn phí được người
Xoilac TV
पेड़ लगाना‌
पेड़ लगाना‌
goutam shaw
***रिमझिम-रिमझिम (प्रेम-गीत)***
***रिमझिम-रिमझिम (प्रेम-गीत)***
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
2575.पूर्णिका
2575.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
The Sky Longed For The Earth, So The Clouds Set Themselves Free.
The Sky Longed For The Earth, So The Clouds Set Themselves Free.
Manisha Manjari
हरी उम्र की हार / मुसाफ़िर बैठा
हरी उम्र की हार / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
रात भर नींद की तलब न रही हम दोनों को,
रात भर नींद की तलब न रही हम दोनों को,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
लगता है🤔 दुख मेरे मन का
लगता है🤔 दुख मेरे मन का
Karuna Goswami
बैठे बैठे कोई ख़याल आ गया,
बैठे बैठे कोई ख़याल आ गया,
Jyoti Roshni
सारा जीवन बीत गया है!
सारा जीवन बीत गया है!
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
तो क्या हुआ
तो क्या हुआ
Sûrëkhâ
गणतंत्र के मूल मंत्र की,हम अकसर अनदेखी करते हैं।
गणतंत्र के मूल मंत्र की,हम अकसर अनदेखी करते हैं।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
#मर्म-
#मर्म-
*प्रणय*
इस दीपावली
इस दीपावली
Laxmi Narayan Gupta
Loading...