झूँठ ओढ़ आदित्य
उगा कहाँ , नभ पर कभी, झूँठ ओढ़ आदित्य !
सिखलाता है ये हमें,………..सदियों से साहित्य !!
ताकत है विश्वास तो, …दुर्बलता संदेह !
इन दोनों के बीच हैं,असमंजस में देह ! !
रमेश शर्मा
उगा कहाँ , नभ पर कभी, झूँठ ओढ़ आदित्य !
सिखलाता है ये हमें,………..सदियों से साहित्य !!
ताकत है विश्वास तो, …दुर्बलता संदेह !
इन दोनों के बीच हैं,असमंजस में देह ! !
रमेश शर्मा