झुकना होगा
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हमे अपनो की चाहत पर ,झुकना होगा
दगा किया सपनो की आहट पर ,झुकना होगा
पागल पंथी पर सवार हो, पीछे तो हटना होगा
खामोशी छायी कोई ग्वार हो ,नीचे झुकना होगा
मदद करना हमारी चाहत पर, बिकना होगा
लालत ऐसी जिंदगी की राहत पर, झुकना होगा
जुबान ऊंची करके बोलना, तेरा मरना होगा
भयातुर होकर भय खोलना ,तेरा झुकना होगा
मौका दिया हमने तुम्हे कई बार ,अब मना करना होगा
चौका दिया तुम्हे हमने इस बार ,अब तुम्हे झुकना होगा
अरे बेगुनियात नियत पर, तुझे अडना होगा
मेरी हो महीयत पर, तुझे तो झुकना होगा
शक होगा तुम्हे हमारी योग्यता पर. तो हमे पीछे हटना होगा
रत रहकर चले हम रख सवाल उनकी योग्यता पर, अब तो उन्हें हमारे आगे झुकना होगा
दिया मौका उस पगली को, कुछ पल तो रुकना होगा
शक को परे कर मुझे उस पगली को, उसकी सजदा मे झुकना होगा