झिलमिल
उसकी यादों की झिलमिल
हर शाम मेरे आँगन में
तुलसी पर
जलते दीये की लौ
की तरह झिलमिलाती है
तुलसी पर जलते सुगंधित
धूप-दीप की तरह
मेरे घर में प्रवेश कर
चारों और फैल जाती है
जैसे सारा घर पवित्र हो
महक उठता है
उसकी यादों की झिलमिल
हर शाम मेरे घर आँगन
को जगमगाती है…
©️कंचन”अद्वैता’