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31 Dec 2019 · 1 min read

झाडफूंक और चिकित्सा

भारत विभिन्नताओं का देश है.
यह परिवेश हर क्षेत्र में झलकता है.
चिकित्सा के क्षेत्र में ईलाज में भी.
ईलाज से पहले बीमारी का उद्गम/उद्भव मालूम आवश्यक है.
बीमारियों के कारण शरीर, मन वा वातावरण/खानपान हो सकता है.

अब मूल बात पर आता हूँ.
झाड़फूंक और चिकित्सा.
झाडे से मन तो झठ सकता है.
भ्रम का ईलाज तो संभव है.
आधार आस्था/विश्वास पर अडिग है.
पर भौतिक चिकित्सा को औषधि या दवा चाहिए.
आपके गीरे हुये मनोबल को भी पुष्टि मिल सकती है.
लेकिन शरीर में भौतिक परिवर्तन जैसे लीवर,दिल,फेफड़े, गुर्दे आदि पर तो तो यह अंधकार आपको मौत के मुख पर ले जाक कर खडे कर देगा.

इसलिये चिकित्सा में झाडे को कोई स्थान नहीं.
एक अनुभवी चिकित्सक से परामर्श ही आपका चयन होना चाहिए.
कुछ बिमारियों में समयसीमा लगभग सात दिन होती है.
उसमें ये झाठे की पद्धति उग्र है.
जैसे कंफेड़ जिसे अंग्रेजी में mumps कहते है.
पीलिया/आँँव-दस्त आदि.
आजकल झाठे वाले दवा के लिए भी मना करते है.
क्योंकि उन्हें पता ये ज्यादातर स्वतः ठीक होने वाले रोग हैं.

निर्णय आपका अहित होने वा किसी चमत्कार से बचें.

Language: Hindi
Tag: लेख
5 Likes · 1 Comment · 439 Views
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