झाग गुमसुम लहर के आंँसू हैं
झाग गुमसुम लहर के आंँसू हैं
गिरते पत्ते शजर के आंँसू हैं
है अलग ढंग सब के रोने का
ओस क्या है सहर के आंँसू हैं
संदीप ठाकुर
झाग गुमसुम लहर के आंँसू हैं
गिरते पत्ते शजर के आंँसू हैं
है अलग ढंग सब के रोने का
ओस क्या है सहर के आंँसू हैं
संदीप ठाकुर