झांसी की रानी
कभी डरी ना जो दुश्मन से ना ज़ां की कुर्बानी से,
जीवन जीना सीख रही हूँ झांसी वाली रानी से,
हिम्मत को तलवार बनाईं अंग्रेजों को मार भगाईं,
भारत का सौभाग्य बनी मनु लक्ष्मी बाई कहलाईं,
रण चंडी का रूप लिये जब काल बनी रण में आईं,
क्रोध अग्नि की ज्वाला से दुश्मन के दिल को दहलाईं,
थर्राते थे दुश्मन जिसके देख शौर्य मर्दानी से,
जीवन जीना सीख रही हूँ झाँसी वाली रानी से,
आगे बढ़ आज़ादी का पथ हम सबको दिखलाईं वो
झाँसी के सिंहासन पर अपना कर्तव्य निभाईं वो,
मातृभूमि की सेवा में जीवन ही अर्पित कर डाला,
जीवन में कंटक पथ पर तूफ़ानों से टकराईं वो,
अब तक पुजित है यह धरती अमर वीर बलिदानी से
जीवन जीना सीख रही हूँ झाँसी वाली रानी से….?