झाँसी की रानी (सूर घनाक्षरी)- गुरू सक्सेना
सूर घनाक्षरी 30वर्ण
यति 8 -8 -8- 6 अंत गुरू
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झाँसी की रानी
शोक जनता में भये,राजा परलोक गये,
बारिस विहीन हुई सूनी रजधानी।
राज को हड़पने का,मन में विचार किया,
डलहौजी शासक की,नीति ललचानी।
देखके तेवर तेज चंडिका प्रचण्डिका सा,
मानों विकराल आई रण में भवानी।
घोड़े पै सवार होके,पीठ पर बाँधा सुत,
खूब लड़ी खूब लड़ी,झाँसी वाली रानी।
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश