झर-झर बरसे नयन हमारे ज्यूँ झर-झर बदरा बरसे रे
झर-झर बरसे नयन हमारे ज्यूँ झर-झर बदरा बरसे रे
पिया मिलन को आतुर अंखियाँ, हाय रे ! कब से तरसे रे
दरद जिया का सह नहिं जाए, सुध बुध तन बिसराई
बैरन भई बयार उड़ाती चूनर मेरे सर से रे
✍️ हरवंश ‘हृदय’