झरना
झरने की आवाज है आई
जैसे स्वर्ग में बजे शहनाई
बूंदे सज धज के दिखती ऐसे
जैसे इन्द्र लोक से नारी आई
झूम झूम के लहरें कहती
देखो पनघट पर पनिहारन आई
हर खग मृग बदन भिगोए
जब मार्तण्ड की गर्मी आई
घाट से देखो पवन पुकारे
झरने की क्या ऋतु है आई
वारिज ने क्या पंख दिखाए
लहरों ने जब बदन भिगाई
झरनों की आवाज है आई
जैसे स्वर्ग में बजे शहनाई
संजय कुमार✍️✍️