झम झमा झम हुई बरसात!
आज रात को जब हुई बरसात,
बड़े दिनों के बाद हुई बरसात,
खुब जमकर हुई बरसात,
झम झमा झम हुई बरसात!
गर्मी से जब हम हांफ रहे थे,
कुलर पंखे चला रहे थे,
पसीने से होकर तर-बतर,
नींद के लिए करवटें बदल कर,
रह गए थे हाथ मल मल कर,
आ गई तभी बरसात,
आज रात को जब हुई बरसात,
खुब झम झमा झम हुई बरसात!
हल्की फुहारें आकर टकराई,
भीनी-भीनी महक भी लाई,
मंद मंद हवा जब लहराई,
मां माटी की सोंधी सुगंध सी आई,
आज रात को जब हुई बरसात,
बड़े दिनों के बाद हुई बरसात,
झम झमा झम कर हुई बरसात!
सुख रहे थे खेत हमारे,
तप रहे थे आंगन चौबारे,
सुख गये ताल तलैया,
सुख गये थे झरने सारे,
नदियां सुखी, नाले सुखे,
पर्वतों से हिमनंद भी टूटे,
हाहाकार मच गया था सारे,
तभी अचानक हो गई बरसात,
आज रात को जब हुई बरसात,
खुब झम झमा झम कर हुई बरसात!
पशु पक्षियों में भी अब कोलाहल है,
किसानों में हलचल है,
आन्नद विभोर होकर दिया वह चल है,
खेती बाड़ी का कौतूहल है,
बोने को वह तत्पर फसल है,
इसी पर तो टिका हुआ उसका कल है,
आज रात को जब हुई बरसात,
बड़े दिनों के बाद हुई बरसात,
झम झमा झम कर हुई बरसात! ़़़़़़़़़़़़़़़़़़
वर्षा ऋतु आने की आहट आई
नई उमंगे वह साथ में लाई,
चारों ओर हरियाली छाएगी,
खेती चारों ओर लहलहाएगी,
साग भाजी और तरकारी,
धान मक्का मंडवा झंगोरा,
अरबी अदरक हल्दी का पौधा,
अपनी अपनी महक बिखरेंगे,
आंखों में चमक उकेरेंगे,
रुके थमे बणज ब्यापार चलेंगे,
नियमित होती रहेगी जब ये बरसात,
खुब जमकर हो ये बरसात,
नियमित रूप से हो यह बरसात,
झम झमा झम कर हो बरसात!
नदी नाले बहने लगेंगे,
ताल तलैया भी भरेंगे,
हरियाली से मन महकेंगे,
जल के श्रोत फिर से निकलेंगे,
अब के जब होगी ये बरसात,
महकेंगे हम सबके भी दिन और रात,
झम झमा झम जब होगी ये बरसात!!