झंकार
दिल को
जो कर दे बेचैन
वह गीत सुनाता हूँ
दिल में
जो समा जाए
वो संगीत बजाता हूँ
ताल और सुरों का
है खेल मनोरम
गीत जब आये
लवों पर
हर दिशा
झंकार हो जाए
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल
दिल को
जो कर दे बेचैन
वह गीत सुनाता हूँ
दिल में
जो समा जाए
वो संगीत बजाता हूँ
ताल और सुरों का
है खेल मनोरम
गीत जब आये
लवों पर
हर दिशा
झंकार हो जाए
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल