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27 Jun 2020 · 1 min read

जज़्बा

विरोधियों का झुंड
लगातार दबोचने की ताक में
आस लगाये बैठा ,
फिर भी मैं आराम से
हँसती हुई गुज़र जाती हूँ ,
तब सब चौकते हैं
और एक दूसरे पर
इल्ज़ाम लगाते हैं ,
कि मैंने न सही
पर तुमने क्यों नहीं नोचा ?

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 17 – 05 – 1991 )

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 224 Views
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