जज़्बात
कुछ रात थे जो सिर्फ निगाहों में गुजरे।
कुछ जज्बात थे जो तेरी बाहों में गुजरे।
आओ,फिर से उन रातों का हिसाब ढूंढ ले।
उन जख़्मी हुए जज्बातों की किताब ढूंढ ले।
-©नवल किशोर सिंह
कुछ रात थे जो सिर्फ निगाहों में गुजरे।
कुछ जज्बात थे जो तेरी बाहों में गुजरे।
आओ,फिर से उन रातों का हिसाब ढूंढ ले।
उन जख़्मी हुए जज्बातों की किताब ढूंढ ले।
-©नवल किशोर सिंह