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15 Oct 2018 · 1 min read

जज़्बात

कुछ रात थे जो सिर्फ निगाहों में गुजरे।
कुछ जज्बात थे जो तेरी बाहों में गुजरे।
आओ,फिर से उन रातों का हिसाब ढूंढ ले।
उन जख़्मी हुए जज्बातों की किताब ढूंढ ले।
-©नवल किशोर सिंह

Language: Hindi
1 Like · 448 Views
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