*** जज़्बात बे-बात ***
जज़्बात बे-बात आज आहत होने लगे हैं
चाहत चाहत में आज आहत होने लगे हैं
रोने लगें हैं फिर राहत- दिल मिलती नही
दिल बोझ आज अपना ख़ुद ढोने लगे हैं।।
?मधुप बैरागी
जज़्बात बे-बात आज आहत होने लगे हैं
चाहत चाहत में आज आहत होने लगे हैं
रोने लगें हैं फिर राहत- दिल मिलती नही
दिल बोझ आज अपना ख़ुद ढोने लगे हैं।।
?मधुप बैरागी