जज़्बात जल उठेंगे
जज्बात जल उठेंगे मुलाकात गर न होगी
वो बात कैसे जाने वो बात गर न होगी.
जागे हैं सारी रात हाँथों में हाँथ लेकर,
आयेगा चैन कैसे वो रात गर न होगी.
तनहाइयों का आलम ऐसे जुदा न होगा
सँग प्यार की तुम्हारे सौगात गर न होगी
अश्कों के जाम पीकर मेरी याद तुम भुला दो
तेरी याद ना धुलेगी बरसात गर न होगी.
खामोशियों ने दी है ये कैसी सदा मुझको
तेरा गम रहेगा दिल में तू साथ गर न होगी.
तू बहुत करीब आजा तुझे थोड़ा प्यार कर लूँ .
कल तू मिलेगी कैसे ये हयात गर न होगी.