ज्वाला सी जीवन ज्योति
ज्वाला सी है जीवन ज्योति
ज्वाला सी है जीवन ज्योति,
हर्षों की घटा, आनंद की मोती।
जीवन के अंधकार को जला दे,
सुख-दुःख के मेल को भुला दे।
उजियाले सपनों की पन्नी खोले,
नये संगीत की तरंग गुनगुनाए।
भ्रम प्राणों को हटा कर हरे,
जीवन में प्रेम का संगीत सुनाए।
अंधकारों को हरा कर प्रकाश बने,
परिश्रम की अग्नि जला कर जागे।
खुशियों की ऊर्जा से मन जले,
धीरे-धीरे सुख के सागर में लहरें लाए।
हार के बाद भी उठता असलों में जोत,
दूर तक चमकता अपरिमित ज्योति सा।
घावों को सलाम करके चल निकले,
मजहब-सियासत के जंजालों को बहा दे।
ज्वाला सी है जीवन ज्योति,
अंधकारों को मिटा दे, नये राग बजा दे।
हन्मन्थपाशों से पर उड़ा दे,
खुशियों के फूल खिला दे जीवन रे।
कार्तिक नितिन शर्मा