ज्योत जगा दो…….
एक गीत जरा गा दो तुम
मुझे प्रीत जरा सीखा दो तुम,
मै हूं माया के दलदल में फंसा
एक रस्सी डाल निकाल लो तुम।।
(यहां “रस्सी” शब्द प्रेम के सागर परमात्मा की अनुकम्पा से है)
मैं भवरो सा मंडराता हूं कहीं
एक पुष्प कहीं खिला दो तुम,
मै हूं माया के दलदल में फंसा
एक रस्सी डाल निकाल लो तुम।
(बिमल रजक)