ज्योति हाॅस्पिटल
ज्योति हाॅस्पिटल परिवार को सादर समर्पित गीत
वे देव नहीं दानव भी नहीं
सबके सब एक समान मिले।
इस ज्योति हाॅस्पिटल में मुझको
कुछ अजब गजब भगवान मिले।।
आगे गमलों में लगे बृक्ष
पीछे भी हरियाली फैली,
अंदर की धरा सुमन सुंदर
लगती भी तनिक नहीं मैली,
पुष्पों का मिनी हार पहने
संतोष अशोक महान मिले।
इस ज्योति हाॅस्पिटल में मुझको
कुछ अजब गजब भगवान मिले।।
रातों दिन जलती ट्यूब लाइट
नव पलंग बिछाये प्यारे से,
रोगी के कमरे बन जाते
उंगली के एक इशारे से,
सुखराम रामबाबू राजन
कर्तव्यों पर कुर्बान मिले।
इस ज्योति हाॅस्पिटल में मुझको
कुछ अजब गजब भगवान मिले।।
आदर्श हड्डियां जुड़ जायें
एके चमड़ी के अंदर की,
लीना की आंखों का गौरव
लैप्रोस्कोपी सुंदर की,
जहां जमें रहे जनरल फिजिशियन
तोमर सीना तान मिले।
इस ज्योति हाॅस्पिटल में मुझको
कुछ अजब गजब भगवान मिले।।
जब न्यूरो को प्रमोद भाये
राहुल को दांत दिखाता है,
पाकर रत्नेश प्रियंका से
हर नर नारी मुस्काता है,
नीरज सत्येन्द्र की अजय रहे
जहां प्रेमी सी मुस्कान मिले।
इस ज्योति हाॅस्पिटल में मुझको
कुछ अजब गजब भगवान मिले
—– डॉ सतगुरु प्रेमी