Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Feb 2023 · 6 min read

ज्योतिष विज्ञान एव पुनर्जन्म धर्म के परिपेक्ष्य में ज्योतिषीय लेख

भगवान श्री कृष्ण ने गीता में अर्जुन को उपदेश देते हुये कहा है हे अर्जुन सृष्टि युग ब्रह्मांड में मैंने अनेको बार जन्म लिया और तुम्हारे भी ना जाने कितनी बार जन्म हो चुके है मेरे और तुममें फर्क मात्र इतना है कि मेरा जन्म पृथ्वी युग मे जन्म युग ब्रह्मांड की आवश्यकतानुसार एव धर्म की रक्षा के लिये मेरी इच्छानुसार होता है तथा मुझे अपने सभी जन्म की सभी कारक कारण घटनाएं सम्मण है एव प्राणि का जन्म उसके कर्मानुसार होता है जिसके कारण उसे चौरासी लाख योनियों में फल भोग हेतु विचरण करना होता है जिस प्रकार मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्याग नए वस्त्र ग्रहण करता है आत्मा उसी प्रकार अपने कर्मानुसार शरीर एव उंसे अपने पिछले जन्म का स्मरण नही रहता।।
वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि
गृह्वाति नरोपराणि ।
यथा शरीराणि विहाय जीर्णा न्यन्यानी
संयाति नवानि देही।। गीता 2/22
यहूदी ईसाई इस्लाम पुर्नजन्म को नही
मानते जबकि सनातन जैन बौद्ध पुर्नजन्म सिद्धान्त स्वीकार करते है।।

सनातन धर्म मतानुसार चौरासी लाख योनि—-

सनातन धर्म मे चौरासी लाख योनियों यानी चौरासी लाख शरीर का वर्णन है आत्मा अपने कर्म फलभोग के लिये इन्ही चौरासी लाख योनियों में भ्रमण करती है।
इन योनियों को निम्न भागों में विभक्त किया गया है –
1-जलचर जल के निवासी प्राणि।।
2-थलचर आवनी के निवासी प्राणी।।
3-नभचर आकाश में विचरण करने वाले प्राणी।।
इन्हें पुनः निम्न चार वर्गों में विभक्त किया गया है-
1-जरायुज यानी माँ के गर्भ से जन्म लेने वाले प्राणि मनुष्य इसी वर्ग में आता है।
2-अंडज-अंडों से उतपन्न प्राणि।।
3-स्वदेज-गंदगी से जन्म लेने वाले प्राणि।।
4-उदिभज-पृथ्वी से जन्म लेने वाले प्राणि।।
चौरासी लाख कुल योनियों की स्थिति
जलीय प्राणि नौ लाख।।
पेड़ पौधे बीस लाख।।
कीड़े मकोड़े ग्यारह लाख।।
पक्षी दस लाख।।
पशु तीस लाख।।
देवता मनुष्य चार लाख।।
विज्ञान एव पुर्नजन्म सिद्धान्त —
बैज्ञानिक की बात माने तो
दार्शनिक सुकरात प्लेटो पाइथागोरस पुर्नजन्म को स्वीकार करते है प्राचीन सभ्यताओं ने भी पुर्नजन्म अस्तित्व को स्वीकार किया है।
अमेरिका के वर्जिनिया विश्वविद्यालय के डॉ स्टीवेन इवान ने चालीस साल तक इस विषय पर शोध के बाद एक पुस्तक लिखी रिइन्कारनेशन एंड बायोलॉजी जिसे महत्वपूर्ण शोध माना जाता है ।
डॉ इयान स्टीवेंस ने पहली बार बैज्ञानिक प्रयोगों एव शोध के दौरान पाया शरीर न रहने पर भी जीवन का अस्तित्व बना रहता है अवसर आने पर वह अपने शरीर के पार्थिव शरीर मे चला जाता है।डॉ स्टीफेन इयान की ही टीम द्वारा स्पष्ठ किया गया है कि पुर्नजन्म अनुसंधानो को स्परिट साइंस एंड मेटा फिजिक्स के अनुसार पुनर्जन्म कल्पना नही है।
जन्म मृत्यु के मध्य जीवन होता है और पंच महाभूतों तत्वो से बना शरीर आकाश वायु जल अग्नि धरती जब शरीर नष्ट हो जाता है उसके शरीर का आकाश आकाश में वायु वायु में अग्नि अग्नि में जल जल में विलीन हो जाती है बच जाती है राख इसके बाद बच जाता है तो उसे कहते है आत्मा और आत्मा कभी नही मरती आत्मा शरीर मे है तो संसार है शरीर छोड़ दिया तो परलौकिक संसार विज्ञान के लिये जन्म मृत्यु के मध्य आत्मा अनबुझ पहेली हैं।
आत्मा से स्थूल शरीर छूट जाता है एव स्थूल शरीर नष्ट हो जाता है तब उसके पास दो चीजें बच जाती है जिसे मन एव सूक्ष्म शरीर कहते है शरीर भौतिक जगत का हिस्सा है मन ही आत्मा के साथ आकाश रूप में विद्यमान रहता हैं इसी मन मे उसकी बुद्धि आकाश रूप में विद्यमान रहता है इसी मन बुद्धि में उसकी सभी स्मृतियां संरक्षित रहती हैं मृत्यु के बाद इसी सूक्ष्म शरीर मे रहकर अगले जन्म की प्रतीक्षा करती हैं।इस प्रतीक्षा में आत्मा भूत बनकर भटकती है कुछ गहरी सुषुप्त अवस्था मे रहती है कुछ पितृ लोक चली जाती है कुछ देव लोक लेकिन सभी को धरती पर किसी न किसी योनि में लौटना होता हैं अपने अपने कर्मानुसार मोक्ष के उपरांत आत्मा ब्रह्म लोक में स्थिर रहती है।अतः स्पष्ठ है कि कर्मजनित पुर्नजन्म सत्य है।

ज्योतिष एव पुर्नजन्म विचार—-

युग ब्रह्मांड सृष्टि में प्राणि अपने कर्मो के अनुसार शरीर धारण करता है एव बदलता रहता है यही प्राणि की नियति है मगर उसे उसके पिछले जन्म की कोई बात स्मरण नही रहती ।आत्मा मेरा ही अंश है जिसे कर्मभोग के लिये
चौरासी लाख योनियों में भ्रमण करना होता है भगवान कृष्ण ने अपने उपदेश में ब्रह्म की तरह अजन्मा स्वर एव अविनाशी बताया मात्र शरीर नश्वर है अतः कभी कभार पुर्नजन्म के सत्य परिलक्षित होते है जो सत्य असत्य की कसौटी पर परीक्षणीय होते है।पुनर्जन्म के निम्न कारक कारण संभव हो सकते है–
1- परमात्मा की इच्छा किसी कार्य विशेष के लिए दिव्य आत्माओं को पुनः जन्म लेना पड़े।
2-सद्कर्म फल समाप्त होने पर–अपने सद्कर्मो का फल भोगने के लिए आत्मा शरीर धारण करती है जब सद्कर्मो का फल समाप्त हो जाता है तब भी पुर्नजन्म उस आत्मा को सद्कर्म करने के अवसर के स्वरूप प्राप्त हो सकता है।
3-दुष्कर्म फल भोगने के लिये भी पुर्नजन्म सम्भव है।
4 -यदि आत्मा किसी प्रतिशोध की प्रताड़ना से होती है आत्मा प्रतिशोध चुकाने के लिये आत्मा पुर्नजन्म ले सकती है।।
5-अकाल मृत्यु होने पर ।
6-अपूर्ण साधना पूर्ण करने हेतु।

कैसे जानाना चाहिये पूर्वजन्म की सच्चाई—
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार लग्न एव लग्नेश की स्थिति से पूर्व जन्म का पता लगया जा सकता है ज्योतिष शात्र के दुर्लभ ग्रंथ “करमदीपाक”में प्राणि के पूर्व जन्म जानने की गणना का सम्पूर्ण विवरण उपलब्ध है।
स्वयं भी अपने पूर्वजन्म के विषय मे जानकारी प्राप्त कर सकते है इसके लिये आपको योग साधना से आत्मा की परम यात्रा यानी परमात्मा की जीवन यात्रा करनी होगी जैसा कि भगवान बुद्ध ने सिद्धार्थ से बुद्ध बनकर प्रमाणित किया आज उन्हें सभी ईश्वर का अवतार स्वीकार करते है यानी राजकुमार सिद्धार्थ पूर्व जन्म में विष्णु अंश थे।।

ज्योतिष शात्र के अनुसार किसी भी व्यक्ति की कुंडली यदि सही समय जन्मांग के अनुसार है तो उसके पूर्व जन्म एव आत्म गति की जानकारी गणना से प्राप्त की जा सकती है परंतु जन्म का स्थान समय सही हो तो पता किया जा सकता है कि जातक किस योनि से आया है एव किस योनि में उंसे जाना है।।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चार से अधिक ग्रह यदि उच्च राशि के हो तो माना जाता कि जातक उत्तम योनि भोगकर जन्मा है।।
1-ज्योतिष शास्त्र के अनुसार लग्न उच्च राशि का चंद्रमा है तो माना जाता है कि जातक पूर्वजन्म में वणिक था।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार लग्नस्थ गुरु है तो माना जाता हैं कि जातक पूर्वजन्म में विद्वतमनीषि था।
2-यदि उच्चगुरु लग्न को देखरहा होता है तो माना जाता है कि जातक पूर्वजन्म में सदगुणी महात्मा था।
यदि सूर्य छठे आठवें या बारहवें भाव मे हो तुला राशि हो तो जातक पिछले जन्म में भ्र्ष्टाचारी था।
3-यदि लग्न सप्तम भाव मे शुक्र हो तो जातक पूर्व जन्म में राजा या सेठ था।
4-लग्न एकादश सप्तम चौथे भाव मे शनि इस बात का स्प्ष्ट संकेत है कि जातक पूर्व जन्म में शुद्र कार्यो में लिप्त पापी था।
5-यदि लग्न या सप्तम भाव मे राहु है तो जातक की पूर्वजन्म में मृत्यु स्वभाविक नही थी।
6-यदि पांच या अधिक ग्रह नीच राशि मे है तो जातक पूर्व जन्म में निश्चय ही आत्म हत्या की होगी।

शारीरिक बनावट के आधार पर ज्योतिष का पूर्वजन्म का निर्धारण—–

प्राणि के शारीरिक बनावट के आधार पर भी पूर्वजन्म के विषय मे जानकारी
प्राप्त की जा सकती हैं विशेषकर मनुष्यो के पूर्वजन के विषय मे।।
1-यदि जातक का जन्म से ललाट ऊंचा है तो निश्चय ही जातक पूर्वजन्म
में बैभव सम्पन्न था।।
2-यदि अजान बाहु है तो निश्चय ही जातंक पूर्वजन्म में महान था या महा
पुरुष था।।
3-यदि जातंक के नाक या कान बड़े है
तो निश्चय ही जातंक पूर्वजन्म में अति विशिष्ट विद्वत एव बैभव शाली था।।
4-यदि जातक के पैर बहुत बड़े है तो निश्चय ही जातक पूर्वजन्म में अल्पज्ञानी था।।
5-यदि जातक की आंखे भूरी हो तो निश्चय ही जातक पूर्वजन्म में सुंदर नारी या खूंखार नरभक्षी था।।
6-यदि जातक के आंखों का रंग काला
नीला है तो निश्चय ही जातक पूर्व जन्म में विराट नेतृव की क्षमता वाला व्यक्तित्व था।।
7-यदि जातक के पैर की उंगलियों के बीच अंतर अधिक है तो जातक पूर्वजन्म में गरीब था एव इसी जन्म में
शेष भोग पायेगा।।
8-यदि जातक के हाथ की उंगलियां नीचे से ऊपर तक एक तरह है तो निश्चय ही जातक पूर्वजन्म में श्रम शक्ति के बल पर ही जीवन व्यतीत किया होगा।।
9-यदि जातक की उंगलिया नीचे से ऊपर क्रमशः पतली हो तो जातक
निश्चय ही पूर्वजन्म में कलाकार था।।
10-यदि जातक का कंधा एव सीना
चौड़ा है तो निश्चय ही जातक पूर्वजन्म
में पुरुषार्थ का प्रतीक था।।
11-यदि जातक का सर बड़ा हो तो निश्चय ही जातक पूर्वजन्म में साशक
था।।
12-यदि जातक के पैर की अंगुलियों में अंतर नही हो और पैर छोटा हो तो निश्चय ही जातक पूर्व जन्म में सन्यासी
या संत पुरुष था।।
पूर्व जन्म के लक्षण का प्रभाव वर्तमान जन्म में भी निश्चय प्राणि के आचरण व्यवहार में परिलक्षित होता है।
अतः पूर्वजन्म की अवधारणा किसी भी मत विज्ञान धर्म की अवधारणा सिद्धान्त में स्वीकारा ही गया है नकारा नही गया है।।

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।

Language: Hindi
812 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
View all
You may also like:
गांव जीवन का मूल आधार
गांव जीवन का मूल आधार
Vivek Sharma Visha
सद्विचार
सद्विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
चलो आज खुद को आजमाते हैं
चलो आज खुद को आजमाते हैं
कवि दीपक बवेजा
बिगड़ता यहां परिवार देखिए........
बिगड़ता यहां परिवार देखिए........
SATPAL CHAUHAN
काश ये
काश ये
हिमांशु Kulshrestha
ग़ज़ल _मुहब्बत के मोती , चुराए गए हैं ।
ग़ज़ल _मुहब्बत के मोती , चुराए गए हैं ।
Neelofar Khan
कैसे देख पाओगे
कैसे देख पाओगे
ओंकार मिश्र
रावण न जला हां ज्ञान जला।
रावण न जला हां ज्ञान जला।
मधुसूदन गौतम
दुश्मनों  को  मैं हुकार  भरता हूँ।
दुश्मनों को मैं हुकार भरता हूँ।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
पीने -पिलाने की आदत तो डालो
पीने -पिलाने की आदत तो डालो
सिद्धार्थ गोरखपुरी
समाज सेवक पुर्वज
समाज सेवक पुर्वज
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
4742.*पूर्णिका*
4742.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आज में जियो
आज में जियो
पूर्वार्थ
कुछ बातों का ना होना अच्छा,
कुछ बातों का ना होना अच्छा,
Ragini Kumari
यही रात अंतिम यही रात भारी।
यही रात अंतिम यही रात भारी।
Kumar Kalhans
*हर पल मौत का डर सताने लगा है*
*हर पल मौत का डर सताने लगा है*
Harminder Kaur
मेरी कलम से
मेरी कलम से
Anand Kumar
वजह बन
वजह बन
Mahetaru madhukar
भाग्य और पुरुषार्थ
भाग्य और पुरुषार्थ
Dr. Kishan tandon kranti
■ ताज़ा शेर ■
■ ताज़ा शेर ■
*प्रणय*
सम्मान समारोह एवं पुस्तक लोकार्पण
सम्मान समारोह एवं पुस्तक लोकार्पण
अशोक कुमार ढोरिया
यूं जरूरतें कभी माँ को समझाने की नहीं होती,
यूं जरूरतें कभी माँ को समझाने की नहीं होती,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हां मैं दोगला...!
हां मैं दोगला...!
भवेश
एक दिवानी को हुआ, दीवाने  से  प्यार ।
एक दिवानी को हुआ, दीवाने से प्यार ।
sushil sarna
।। अछूत ।।
।। अछूत ।।
साहित्य गौरव
दूरियां भी कभी कभी
दूरियां भी कभी कभी
Chitra Bisht
23, मायके की याद
23, मायके की याद
Dr .Shweta sood 'Madhu'
मतदान
मतदान
Aruna Dogra Sharma
सबूत- ए- इश्क़
सबूत- ए- इश्क़
राहुल रायकवार जज़्बाती
Loading...