ज्यादा मत सोचो
लोग क्या कह रहे हैं,
ये मत सोचो ।
तुम क्या कर रहे हो,
बस वो सोचो ।।
यहाँ समझाने की अपेक्षा,
मिलेंगे बहुत फँसाने ।
बिना गलती किये ही कुछ लोग,
लगेंगे अपना गीत सुनाने ।।
चुप रहे आखिर कोई कबतक,
चुप रहने की हद होती है ।
जब पानी सर तक चढ़ जाए,
तब गुस्सा भी उबल जाए ।।
फिर किसे कोई रोके, किसे समझाये ।
समझ न आता है हमको,
अब क्या छोड़ें क्या गायें ।।
मैं तो नहीं टूटा यारोंं,
दिल टूटा बहुत ।
मैं तो लूटा, नहीं किसी को,
सबने लुटा बहुत ।।
यही सोचता हूँ दिनरात,
क्या कमी रह गई जो अपनी,
कभी किसी से बनी न बात ।।
कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 22/01/2021
समय – 09:22 ( सुबह )
संपर्क – 9065388391