ज्ञान प्रकृति का हम पाएं
आओ बच्चों बात बतायें।
ज्ञान प्रकृति का हम पायें।।
चाँद और सूरज नित आ,
दुनिया में प्रकाश फैलाये।।
नभ में यदि चाँद न होता,
दिशा ज्ञान हम पाते कैसे ?
जे सूरज में किरणे न होती,
प्रकाश जगत में पाते कैसे ?
आक्सीजन देते वृक्ष न होते,
निज जीवन हम कैसे पाते।
जे वृक्षदेव की कृपा न होती,
फल मधुर हम कहाँ से पाते।।
वृक्षों का गर चमन न होता,
तो फूल व उपवन न होता।
वन्य प्राणी कहाँ पर रहते,
प्राणवायु भरा वन न होता।।
‘पृथ्वीसिंह’ वृक्षदेव नमन करें,
एक एक वृक्ष सभी लगाओ।
चाँद और सूरज को नित करें,
नवण प्रणाम शीश झुकाओ।।