“””ज्ञान दो मां ज्ञान दो””” (सरस्वती वंदना)
ज्ञान दो मां ज्ञान दो, मुझको भी पहचान दो।
आया शरण तिहारी चलकर, विद्या का वरदान दो।।
ज्ञान दो मां ज्ञान दो मुझको भी पहचान दो।
(१) तोरे इस मंदिर में मैंने ,भक्ति ज्योति जलाई।
श्वेत वर्णी मांवीणा वादिनी, मन में आस बसाई।।
रसना पर तुम आन बसो मां
बस इतनी सी मान लो।
ज्ञान दो मां ज्ञान दो, मुझको भी पहचान दो।।
(२) झन _ झन की झंकार मैया, स्वास स्वास में गूंजे।
तेरा सहारा हंस वाहिनी, कोई न मेरे दूजे ।।
मधुर मधुर स्वर सप्तक से ,
अंत करण में तान दो ।
ज्ञान दो मां ज्ञान दो मुझको भी पहचान दो।।
(३) सबको अपना मानू माता, भेदभाव न जानू ।
जब जब जनम लूं इस धरती पर, मानवता पहचानूं।।
अपने ही हाथों में मैया,
मेरी आप कमान लो।
ज्ञान दो मां ज्ञान दो ,मुझको भी पहचान दो।।
राजेश व्यास अनुनय