Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Dec 2021 · 3 min read

ज्ञान क्या है?

दस पुस्तकें पढ़कर खुद को विद्वान मानने वाला नया विचार मुख्य धारा से जुड़े लोगों का होने लगा है। और दुष्प्रभाव यह है कि विद्वान प्रताड़ित किए जाने लगे हैं।
ज्ञान की आवश्यकता यूं तो मूढ़ व्यक्तियों को है,लेकिन अगर वो इस आवश्यकता को समझ पाते तो वो मूढ़ क्यों रहते?

ज्ञान क्या है?
इसका तर्क संगत जवाब देना आसान नहीं है,लेकिन हां ज्ञान जो भी हो प्राप्त करना अत्यंत जटिल है। अगर ज्ञान प्राप्त करना आसान होता तो कोई राजकुमार गौतम बुद्ध क्यों बनते ? या कोई ऋषि वनवासी जैसे जीवन क्यों व्यतीत करते?
इन प्रश्नों का उत्तर खोजना आवश्यक है!!
वास्तविक में ज्ञान यथार्थ अनुभूति है, चाहे दशा और दिशा जो भी हो।
उदाहरण के लिए

एक दाहक वस्तु को छूने से हमारा हाथ जल जाएगा (यह ज्ञान है)
इसके विपरित अगर हम दाहक वस्तु को छूते हैं तो हमारा हाथ जल जाता है,और हमें जलन की अनुभूति है।
इस पीड़ादायक अनुभूति का पूर्वानुमान ही ज्ञान है,और इस ज्ञान के अनुरूप चलने वाले लोग ही ज्ञानी।
अगर किन्हीं को इस बात की अनुभूति हो इसके बावजूद वो यही कार्य करें,तो वो बिलकुल भी ज्ञानी नहीं हैं।

देश के पूर्व राष्ट्रपति और वैज्ञानिक ए पी जे अब्दुल कलाम साहब कहते हैं ,कि ज्ञानी वो जो दूसरे के गलतियों से सीखे।
जीवन को सफल बनाने के लिए आत्मीय रूप से सबल और दृढ़ होना आवश्यक है।
दुखद है कि नई पीढ़ी इस ज्ञान को ज्ञान नहीं मानकर पाखंड मानती है।

कई शिक्षाविद् मानते हैं, कि आत्मीय सबलता के लिए अध्यात्म आवश्यक है,लेकिन पश्चिमी सभ्यता के नकारात्मक प्रभाव से, यह अध्यात्म अब पाखंड कहा जाने लगा है।
अध्यात्म के अनुसार सफलता के बाद,,लेकिन नई पीढ़ी सफलता मिलने के पहले ही अपने प्रसिद्धि के लिए प्रचार प्रसार आरंभ कर देती है,जो समय उन्हें सामर्थ्य प्राप्त करने के लिए उपयोग में लाना चाहिए ,,उस समय को वो स्वघोषित निज प्रसिद्धि को प्राप्त करने के प्रयास में नष्ट कर रहे हैं।

ऐसे में मैं सिर्फ़ आवाह्न कर सकता हूं कि अपना पूरा समय प्रचार प्रसार में नष्ट करने से परे होकर ,,सामर्थ्य प्राप्त करने में व्यतीत करें।आपके स्वप्न तभी साकार होंगे।
प्रायोगिक बात यह कि सफलता का स्तर हमेशा ही आपका सामर्थ्य तय करता है।

उदाहरण के लिए एक चार पहिया वाहन का गति अगर डेढ़ सौ किलोमीटर प्रति/घंटा हो तो इस वाहन का निर्माण कार्य सफल होगा सार्थक होगा।
किंतु अगर एक वायुयान का गति तीन सौ किलोमीटर प्रति घंटा भी हो तो इस विमान का निर्माण कार्य असफल और निरर्थक होगा।
इसी प्रकार कई बार आपकी सफलता निरर्थक हो जाती है। और इसका कारण यह भी हो सकता है कि आपके सामर्थ्य का जो स्तर है ,सफ़लता का स्तर अनुरूप नहीं है।

आपको अपने सामर्थ्य के अनुरूप लक्ष्य रखना चाहिए,,अगर परिश्रम करते करते आपका सामर्थ्य बढ़ जाता है ।तब आपको अपने लक्ष्य का स्तर भी बढ़ा देना चाहिए,लेकिन अगर आपके सामर्थ्य का स्तर लक्ष्य के स्तर से नीचे आ रहा है ,तो संकेत यह कि आपके परिश्रम में कमी है।यथार्थ रूप से ज्ञान की अवश्यता यहीं होती है। ज्ञान है सामर्थ्य और लक्ष्य के मध्य नैतिकता!!

आभार।
दीपक झा “रुद्रा”

Language: Hindi
Tag: लेख
380 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"रहमत"
Dr. Kishan tandon kranti
जय भोलेनाथ ।
जय भोलेनाथ ।
Anil Mishra Prahari
हम तो अपनी बात कहेंगें
हम तो अपनी बात कहेंगें
अनिल कुमार निश्छल
*वृद्धावस्था : सात दोहे*
*वृद्धावस्था : सात दोहे*
Ravi Prakash
गीत रीते वादों का .....
गीत रीते वादों का .....
sushil sarna
चन्द ख्वाब
चन्द ख्वाब
Kshma Urmila
🚩साल नूतन तुम्हें प्रेम-यश-मान दे।
🚩साल नूतन तुम्हें प्रेम-यश-मान दे।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
सच तो आज कुछ भी नहीं हैं।
सच तो आज कुछ भी नहीं हैं।
Neeraj Agarwal
★ शुभ-वंदन ★
★ शुभ-वंदन ★
*प्रणय प्रभात*
13, हिन्दी- दिवस
13, हिन्दी- दिवस
Dr .Shweta sood 'Madhu'
एक ही बात याद रखो अपने जीवन में कि ...
एक ही बात याद रखो अपने जीवन में कि ...
Vinod Patel
क्या ख़रीदोगे
क्या ख़रीदोगे
पूर्वार्थ
--शेखर सिंह
--शेखर सिंह
शेखर सिंह
रिश्ते और साथ टूटना कभी भी अच्छा नहीं है हमारे हिसाब से हर व
रिश्ते और साथ टूटना कभी भी अच्छा नहीं है हमारे हिसाब से हर व
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
जो सबका हों जाए, वह हम नहीं
जो सबका हों जाए, वह हम नहीं
Chandra Kanta Shaw
मौसम - दीपक नीलपदम्
मौसम - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
4216💐 *पूर्णिका* 💐
4216💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
शुभ दिन सब मंगल रहे प्रभु का हो वरदान।
शुभ दिन सब मंगल रहे प्रभु का हो वरदान।
सत्य कुमार प्रेमी
*अद्वितीय गुणगान*
*अद्वितीय गुणगान*
Dushyant Kumar
प्रेम और घृणा दोनों ऐसे
प्रेम और घृणा दोनों ऐसे
Neelam Sharma
*कुल मिलाकर आदमी मजदूर है*
*कुल मिलाकर आदमी मजदूर है*
sudhir kumar
जनक देश है महान
जनक देश है महान
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
" परदेशी पिया "
Pushpraj Anant
खुद को संवार लूँ.... के खुद को अच्छा लगूँ
खुद को संवार लूँ.... के खुद को अच्छा लगूँ
सिद्धार्थ गोरखपुरी
उलझनें
उलझनें
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
काश ! लोग यह समझ पाते कि रिश्ते मनःस्थिति के ख्याल रखने हेतु
काश ! लोग यह समझ पाते कि रिश्ते मनःस्थिति के ख्याल रखने हेतु
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
बिखरा ख़ज़ाना
बिखरा ख़ज़ाना
Amrita Shukla
वक्त निकल जाने के बाद.....
वक्त निकल जाने के बाद.....
ओसमणी साहू 'ओश'
एक चाय में बेच दिया दिल,
एक चाय में बेच दिया दिल,
TAMANNA BILASPURI
नंद के घर आयो लाल
नंद के घर आयो लाल
Kavita Chouhan
Loading...