Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Aug 2022 · 1 min read

ज्ञान की खिड़कियां

बजाने दो उन्हें
मंदिर की घंटियां!
आओ खोलें हम
ज्ञान की खिड़कियां!!
कर रहे हों जहां
कौए कांव-कांव!
बेहतर है वहां
हंसों की चुप्पियां!!
#बहुजन #दलित #आदिवासी #OBC
#शिक्षा #किताब #लाइब्रेरी #स्कूल #शूद्र

Language: Hindi
1 Like · 150 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

नव वर्ष (गीत)
नव वर्ष (गीत)
Ravi Prakash
कहते हैं
कहते हैं
हिमांशु Kulshrestha
शब्द ही...
शब्द ही...
ओंकार मिश्र
मिस इंडिया
मिस इंडिया
Shashi Mahajan
दिल का हर रोम रोम धड़कता है,
दिल का हर रोम रोम धड़कता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हम समुंदर का है तेज, वह झरनों का निर्मल स्वर है
हम समुंदर का है तेज, वह झरनों का निर्मल स्वर है
Shubham Pandey (S P)
रेत पर मकान बना ही नही
रेत पर मकान बना ही नही
कवि दीपक बवेजा
कच्ची उम्र में प्रतियोगिता
कच्ची उम्र में प्रतियोगिता
Ankita Patel
हो तुम किस ख्यालों में डूबे।
हो तुम किस ख्यालों में डूबे।
Rj Anand Prajapati
हे ईश्वर - ॥
हे ईश्वर - ॥
Ashwani Kumar Jaiswal
बहुत फ़र्क होता है जरूरी और जरूरत में...
बहुत फ़र्क होता है जरूरी और जरूरत में...
Jogendar singh
मैंने कभी न मानी हार (1)
मैंने कभी न मानी हार (1)
Priya Maithil
मेरा शहर कहीं ग़ुम हो गया है
मेरा शहर कहीं ग़ुम हो गया है
Atul "Krishn"
नायब सिंह के सामने अब 'नायाब’ होने की चुनौती
नायब सिंह के सामने अब 'नायाब’ होने की चुनौती
सुशील कुमार 'नवीन'
कभी अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर ,
कभी अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
मैं अकेला महसूस करता हूं
मैं अकेला महसूस करता हूं
पूर्वार्थ
जीवन आसान नहीं है...
जीवन आसान नहीं है...
Ashish Morya
बहुत ही हसीन तू है खूबसूरत
बहुत ही हसीन तू है खूबसूरत
gurudeenverma198
कलम
कलम
Roopali Sharma
"गुरु पूर्णिमा"
Dr. Kishan tandon kranti
फकीरा मन
फकीरा मन
संजीवनी गुप्ता
गुलमोहर
गुलमोहर
डॉ.स्नेहलता
दोहे - डी के निवातिया
दोहे - डी के निवातिया
डी. के. निवातिया
अनुरोध किससे
अनुरोध किससे
Mahender Singh
पौधा
पौधा
कार्तिक नितिन शर्मा
अंधेरे में छिपे उजाले हो
अंधेरे में छिपे उजाले हो
नूरफातिमा खातून नूरी
तू कल बहुत पछतायेगा
तू कल बहुत पछतायेगा
Vishnu Prasad 'panchotiya'
वार्ता
वार्ता
meenu yadav
दोहा पंचक . . . .
दोहा पंचक . . . .
sushil sarna
मंजिल-ए-मोहब्बत
मंजिल-ए-मोहब्बत
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
Loading...