ज्ञानी हो नव पीढ़ी या केवल साक्षर
दुर्दशा शिक्षा की,हो रही है किस तरह
अज्ञान,भ्रष्टाचार,चाहे जो भी हो वजह
सरकारी सारे काम,बस कागजों में चलेंगे
लिख लेने भर से नाम,पढ़े लिखे बनेंगे
इससे भी बुरा पर,उनका हुआ है हाल
दोनों हाथों से,जो डिग्रियाँ रहे उछाल
चंद रूपयों में यहाँ,बिकती हैं डिग्रियाँ
औ’ईमान बिकता है,देखकर के गड्डियाँ
पढ़े लिखों की यूँ तो फौज बढ़ रही
फिर भी तरक्की क्यों सीढ़ी उतर रही
कहने को पढ़ा हुआ,पर ज्ञान है सिफर
डिग्रीधारी हैं बहुत,ज्ञान पर न रत्ती भर
नीति बनाने वालों,सोचो यह देखकर
ज्ञानी हो नव पीढ़ी या केवल साक्षर
✍हेमा तिवारी भट्ट✍