ज्ञानी बालक
करता रहता हूँ शैतानी
मैं बालक लेकिन हूँ ज्ञानी
रूप धरूँ पंडित जैसे पर
बातें करता हूँ बचकानी
अपनी रोज शरारत से मैं
लिख देता हूँ नई कहानी
ज़िद करके पापा मम्मी से
भरवा भी देता हूँ पानी
दिखने में हूँ भोला भाला
मगर शैतान की हूँ नानी
कितना भी समझा लो मुझको
पर करता अपनी मनमानी
16-12-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद