*ज्ञानी की फटकार (पॉंच दोहे)*
ज्ञानी की फटकार (पॉंच दोहे)
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1)
रखिए सोना जानकर, ज्ञानी की फटकार
सौ-सौ तारीफें मिलीं, मूरख की बेकार
2)
सबसे अच्छा जो मिला, ज्ञानवान का संग
अंतर्मन महका दिया, महक गया हर अंग
3)
भर देती सौ रंग है, गुरु की पावन सीख
जीवन में मिलती नहीं, ऐसी स्वर्णिम भीख
4)
नमन-नमन सौ बार है, जो भी देखे दोष
हाथ जोड़कर बावरे, दे उसको परितोष
5)
गलती देखी कह दिया, उनको नम्र प्रणाम
चाटुकार कब कर सके, ऐसा निर्भय काम
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451