जो हो रहा है होने दो
मुझे जिंदगी से शिकवा नहीं,
जो हो रहा है वो होने दो,
हम शायद किसी काबिल नहीं,
जो खो गया वो खोने दो।
आखिर खिजाएँ आ गईं,
और वो कली मुरझा गईं;
अब इन फिजाओं को आखिर,
तरसना है तो तरसने दो।
जो खो गया वो खोने दो।
हर रात आखिर रात है,
फिर रौशनी की क्या बात है;
हम अँधेरों में हैं तो क्या हुआ,
इन अँधेरों को और होने दो।
जो खो गया वो खोने दो।
जो नहीं था कभी मिला हमें,
किस बात का फिर गिला हमें;
जो गर्दिशों में रहा कभी,
उस सितारे को अब सोने दो।
जो खो गया वो खोने दो।
यूँ तो हम अकेले हैं सदा,
आखिर किसे अब दे सदा;
सुनना नहीं है उन्हें हमें,
हमें रोना है अब रोने दो।
जो खो गया वो खोने दो।
सोनू हंस