*जो होता पेड़ रूपयों का (सात शेर)*
जो होता पेड़ रूपयों का (सात शेर)
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1
हमारे घर के आँगन में जो होता पेड़ रूपयों का
बड़ा नुकसान यह होता कि हम मेहनत नहीं करते
2
बड़े लोगों की मत पूछो, हजारों इन पे चेहरे हैं
जहाँ जैसा पड़ा मतलब, बदलकर आ गए चेहरा
3
अभी तक नफरतों के बीज बोना भी नहीं सीखे
चुनावों में खड़े हो भी गए तो कैसे जीतोगे?
4
तराशा जाएगा जितना, तू उतना और निखरेगा
ये थोड़े-से बुरे दिन हैं, इन्हें हँसकर गुजरने दे
5
यहाँ हाथों में पत्थर हैं, यहाँ के लोग पागल हैं
ये दुनिया छोड़कर आओ! कहीं को और चलते हैं
6
बड़ी जल्दी में दिखते हैं सफर पर लोग हैं ये जो
सभी की व्यस्तताऍं हैं, यहाँ यह कौन खाली है
7
अगर घबरा गए तो फिर समस्या कुछ न सुलझेगी
उलझती डोर है जीवन की ,अक्सर हड़बड़ाहट में
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रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451