जो हवा के हैं बगूले
जो हवा के हैं बगूले बुलबुले हैँ
खुद को फौलादी दिखाने पर तुले हैं
!
कोठरी काजल की है जिनका ठिकाना
कह रहे हैं दूध के वो तो धुलें हैँ
!
हैं हुऐ शिवि से बड़े दानी क़ोई क़्या
जो तुला पर मांस के बदलें तुले हैँ
!
राम को वनवास का आदेश देकर
शोक में दसरथ उन्ही के क्यों घुले हैं
!
पांडवो का बाहु बळ किस काम का है
द्रोपदी के केश तो अब भी खुले हैं
@
डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव