जो हमें क़िस्मत से मिल जाता है
जो हमें क़िस्मत से मिल जाता है
अज्ञानता बस हम उसे खो देते हैं
हमें अपने कर्मों पर अधिक विश्वास होता है
भाग्य को हम भगवान भरोसे ही छोड़ देते हैं
फ़िर रोते बिलखते रहते हैं
हमारे साथ ऐसा ही क्यों होता है
जो वस्तु हमें आसानी से प्राप्त हो जाती है
उस वस्तु की क़ीमत हम नहीं जान पाते हैं
हमारे लिए वो वस्तु कहां इतनी कीमती होती है फ़िर
खानें के पश्चात् पछताने के अलावा कुछ नहीं बचता है
_ सोनम पुनीत दुबे