जो व्यक्ति दुःख और सुख दोनों में अपना सहमति रखता हो वह व्यक्
जो व्यक्ति दुःख और सुख दोनों में अपना सहमति रखता हो वह व्यक्ति कभी भी दुखी नहीं हो सकता है। क्योंकि वह जानता है कि इससे परमात्मा का अनादर होगा।
– रविकेश झा
जो व्यक्ति दुःख और सुख दोनों में अपना सहमति रखता हो वह व्यक्ति कभी भी दुखी नहीं हो सकता है। क्योंकि वह जानता है कि इससे परमात्मा का अनादर होगा।
– रविकेश झा