जो लिख न सका
जो लिख न सका, वो अधूरी
कहानी कह रहा है।
भवर में है दरिया, मौजों की
रवानी कह रहा है।
जाने किस तरह उतर आई वो
मेरी गीतों, गजलों में…
जख्म नहीं है अब, मेरे जख्मों
की निशानी कह रहा है।
आज और कल के फासलों में
उलझा हुआ हूँ मैं,
उसके आस्तीन पर सुखी, मेरी
आंखों का पानी कह रहा है.
इस जहाँ में गर कुछ मुकम्मल है,
तो एक इश्क़ ही है,
मुद्दतों से यूं ही नहीं “राधा” को रानी,
“मीरा”को दिवानी कहता है।
-के के राजीव