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29 Sep 2021 · 1 min read

जो रे क्षुद्राहा सभ

जो रे क्षुद्राहा सभ
तूँ की बजबै आब?
यथार्थ देखितउह चुप,
किएक तोहर बकार हरण भेल छौ?

मिथिलाक नाम पर फुंसियाहिक अनघोल
यथार्थ काज एक्को पाई ने भेल?
मुदा मैथिलीक नाम पर षड़यंत्र कय्
किएक तूँ, लोक के ठकैत रहबिहि?

कहबैका कहेबा लेल आब कतेक दिन?
मिथिला समाज के ठकबिहि,
तोहर अपने स्वार्थ बड्ड बेसी छौ ,
समाजक लोक सँ तोरा की रे क्षुद्राहा ?

जातिवादी क मिथिला समाज के झरकौलहि
सामाजिक विकास के सुड्डाह क देलही?
आब यथार्थक आगि मे तहू झरकमे
कहिया तक बाँचल फिरमे रे क्षुद्राहा?

कविवर- किशन कारीगर
( नोट – कॉपीराईट अधिनियम के तहत© )

Language: Maithili
1 Like · 366 Views
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