जो मैं होता कुंआरा,या पत्नी होती टीचर
जो यदि मैं कुंआरा होता,या पत्नी होती टीचर,मै मौजां ही मौजां मे रहता।
ना जल्दी उठने की कोई चिन्ता होती,
ना देर में सोने का कोई चक्कर रहता ।यदि मैं कुआंरा होता या पत्नी होती टीचर ।
क्या बनाया-क्या खाया,क्या पाया-क्या खोया,
कब ऊठा -कब सोया़,क्यों हंसा-क्यों रोया,
इन सब पचडों से मैं दूर ही रहता, यदि मैं कुआंरा होता या पत्नी होती टीचर ।
ना पत्नी कि किच-किच रहती,
ना बच्चों कि चक-चक होती,
पास -पडोस से भी ना कोई खट-पट रहती,
ना किसी से कभी कोई बक झक होती,
यदि मैं कुंआरा होता.या पत्नी होती टीचर .
कितना कमाया,कितना बचाया,
कितना मैंने किस पर लुटाया,
पत्नी के ये ताने ना होते,
ये नही लाये,वो नही लाये,
कैसे घर का काम चलाऐं,
ना बच्चों की मागें होती,ना कोई ये अफसाना होता,
यदि मैं कुआंरा होता या पत्नी होती टीचर ।
जो यदि फिर भी मेरी शादी होती, तो पत्नी मेरी टीचर ही होती,फिर………
हालत मेरी यों फटीचर ना होती,
वह कमा कर घर में लाती,
घर का खर्चा वह चलाती,
यदि मै. कुआरा होता या फिर पत्नी टीचर होती,।
इधर -उधर मैं घुमता रहता,
कभी किसी के काम कर देता
ऐसे में मेरा कुछ नाम भी होता,
किसी पार्टी-या दल का मैं मेम्बर भी रहता,
वह दल मेरी सेवाऐं लेता,बदले में मुझे टिकट भी देता,
किस्मत से मैं सांसद-बिधायक बन लेता,
यदि मैं कुआंरा होता,या फिर पत्नी टीचर होती ।
राजनीति मे मै खुब चमकता,
बिरोधियों पर खुबमैं बरबस बरसता,
बडे -बडों को छोड के पीछे,
मैं सबसे आगे-सबसे ऊपर रहता,
सब पर मेरा रूतबा होता,
यदि मैं कुंआरा होता,या फिर पत्नी टीचर होती ।
लिखने पढने मेंचाहे रहा फिसड्डी,
पर ञान धयान कि खुब बातें करता,
रोज नये नित नारे देता,
नये-नये मैं चारे देता,
कोई उन्हें चाहे जुमला कह दे,
पर मैं उन्हे विकास कि राहें कहता,
लक्छ मेरा भी लम्बा रहता,
साल पांच से काम नही चलता,
दस साल का मेरा पेटेंन्ट भी होता,
छोटे पदों से नहीं मेरा गुजारा,
सीधे सीएम-पीेएम पर होता इसारा,
यदि मैं कुंआरा. होता,या फिर मेरी पत्नी होती टीचर .