जो बैठा है मन के अंदर उस रावण को मारो ना
जो बैठा है मन के अंदर उस रावण को मारो ना
राम मिलेगा खुद के अंदर गुण ह्रदय में धारो ना
जो बैठा है मन के अंदर उस रावण को मारो ना
ढूंढ रहे हो मंदिर-मंदिर राम-राम की रटते माला
माँ-बाप की सेवा का है पहला फर्ज विचारो ना
जो बैठा है मन के अंदर उस रावण को मारो ना
माँ,बहन,बेटी को इज्जत मान सम्मान मिले पूरा
जो नारी है पूजा लायक उसको यूँ धिक्कारो ना
जो बैठा है मन के अंदर उस रावण को मारो ना
कर्म भूलकर पाप कमाते करते हो यूँ अय्यासी
मूल मंत्र है कर्म करो जीवन की राह निखारो ना
जो बैठा है मन के अंदर उस रावण को मारो ना
V9द मौन रहना अच्छा देखो कड़वे वचनो से
बुरा किसी का ना करना बुरी नजर निहारो ना
जो बैठा है मन के अंदर उस रावण को मारो ना
स्वरचित
( V9द चौहान )