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20 Sep 2021 · 1 min read

जो फलता फूलता वो ही झुका है।

गज़ल
1222……..1222……..122

जो दंभी है वही तन कर खड़ा है।
जो फलता फूलता वो ही झुका है।

ये चलता अनवरत सरिता के माफ़िक,
समय का चक्र कब रोके रुका है।

तुम्हें महसूस होना चाहिए गर,
किसी का दिल कभी तुमसे दुखा है।

समझ लो छू लिया तुमने गगन भी,
किसी मुफ़लिस के दिल को छू लिया है।

नशा कोई न बढ़कर है जहाँ में,
नज़र से जाम जो तुमने पिया है।

असीमित दर्द भी सहने पड़े हैं,
मेरे ही जख्मों को मैंने सिया है।

अमर है प्रेम वो प्रेमी जहाँ में,
जहर भी प्रेमवश जो पी गया है।

…….✍️ प्रेमी

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