जो निरन्तर सीखता है, वह हमेशा युवा रहता है।
जो सीखता है, वह हमेशा युवा रहता है – आनंदश्री
– जवानी ओ दीवानी तू जिंदाबाद
युवा की परिभाषा क्या है। क्या यह कोई उम्र का परिणाम है, या बचपन और वयस्कता के बीच की अवस्था है। या कोई विशिष्ठ उम्र की अवस्था को युवा कहते है। क्या कोई अधिक उम्र वाला युवा कहला सकता है।
-युवा एक मानसिकता है
मैं हमेशा कहता हूं ” Everything is Mindset ” . आपकी मानसिकता की सबकुछ है। आपकी सोच, आपकी फीलिंग- भावना आपको कुछ भी बना सकती है। आप सोलह साल के बुजुर्ग और साठ साल के युवा बन सकते है। युवा एक मानसिकता है।
– युवा होना अनुभव का नाम है
आप किसी भी अवस्था मे अपने आप को युवा रख सकते है। यही आपका सेंटर है। सेंटर में युवा हो। शक्ति का संचार अपबे आप होगा। आपके केंद्र में युवा मानसिकता होगी तो शरीर तो वैसे ही रेस्पॉन्स करेगा।
– मैं जानता हूँ 75 वर्ष वाले वी शेप हष्ठ पृष्ठ युवा को – मधुकर तलवलकर
भारत मे तलवलकर नाम फिटनेस का पर्याय है, यह बात जगजाहिर है। लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि इसके अध्यक्ष मधुकर तलवलकर 75 वर्ष के हैं और अभी भी जाने के लिए उतावले हैं। उनकी फिटनेस को देख कर 25 साल के बच्चों को भी शर्मसार कर सकता है। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था ” मैंने चाय/कॉफी छोड़ दी है। मैं फिट रहना चाहता हूं और 150 साल तक जीना चाहता हूं।
फिटनेस सिर्फ शारीरिक नहीं है; यह मन के बारे में भी है। मैं कृतज्ञता के दृष्टिकोण में विश्वास करता हूं। इसलिए, शारीरिक फिटनेस के बारे में जागरूक होने के अलावा, मैंने अपने जीवन के हर दिन और हर पल का आनंद लिया है: चाहे वह असफलता हो, सफलता हो, या ऐसे समय जब मेरे पास पैसे नहीं थे।
मैं सकारात्मक दृष्टिकोण में भी विश्वास करता हूं। मेरी दुनिया में नकारात्मकता का कोई स्थान नहीं है। उदाहरण के लिए, आप यह कहते हुए कभी भी नोटिस नहीं पढ़ेंगे कि, “व्यायामशाला बंद रहेगी।” इसके बजाय, हम कहते हैं: “इस अवसर पर एक विशेष छुट्टी है …” आप सकारात्मक होकर उसी अर्थ को व्यक्त कर सकते हैं।”
– आपकी उम्र कोई भी हो अभी आप यौनवस्था को प्राप्त कर सकते है।
किसी भी युवा को देखो, वह हँसते, मुस्कुराते, अपने एक नए सपनो की दुनिया मे जीते है। आप अभी इसी वक्त युवा बन सकते है। बस विचारो को युवा जैसा आकार दे। युवा जिंदादिली, जोश , होश और मुस्कुराता चेहरे का नाम है। और आप यह अभी कर सकते है ।
– नियमित व्यायाम युवा अवस्था को प्राप्त करने में मदद करता है।
व्यायाम एक तनाव-बस्टर है। और भार प्रशिक्षण शारीरिक ध्यान के समान है। यह मांसपेशियों के लिए एक दावत है। जब आपका स्वास्थ्य अच्छा होता है, तो आपका रक्त अच्छी तरह से बहता है, आंखें बेहतर काम करती हैं, मस्तिष्क बेहतर काम करता है, और क्योंकि आप आत्मविश्वासी होते हैं, आपको गुस्सा कम आता है।
– हमारे विचार हमारे शरीर को जबरदस्त प्रभावित करते है।
हम सभी विचारो से हो निर्मित प्राणी है, जैसा जैसा सोचेंगे वैसे वैसे बनते चले जायेंगे।
और सच मे ! आप जो सोचते हैं वह निश्चित रूप से आपके शरीर को प्रभावित करता है। तो अपने शरीर से प्रार्थना करो। अपने शरीर की बात करें तो यह भगवान का बेहतरीन उपहार है। अपने शरीर का ख्याल रखें, कहीं भी, चाहे वह घर हो, ऑफिस हो, गली हो, फैक्ट्री हो। जब भी मौका मिले टहलने जाएं, योग करें , खेल खेलें, डांस करें और याद रखें कि रोजाना कम से कम 20 मिनट खुद पर बिताएं।
– उन लोगों का क्या जो अपने व्यस्त कार्यक्रम के कारण वर्कआउट के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं?
कम से कम सप्ताह में तीन दिन एक एक घंटे अपने शरीर को दे। आपका शरीर आपका मंदिर है। आपके मंदिर में कम से कम हफ्ते में तीन दिन इस मंदिर की देखभाल के लिए व्यायाम करें। अपने शरीर का दुरुपयोग न करें। आपको इसे कभी भी बुरा नहीं कहना चाहिए। हमेशा इसकी पूजा करें। यदि आप आकार से बाहर हैं, तो इसके लिए काम करें क्योंकि आप इसके लिए जिम्मेदार हैं। भगवान को दोष मत दो। प्रयास करें और दीर्घायु हों-यह हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है; यह शरीर 150 साल के लिए है। यह साधारण बातें हैं। यदि आप एक टेबल की देखभाल करते हैं, तो यह लंबे समय तक चलेगी। आप उस चमड़े के जूते की देखभाल के लिए अपने जूते पॉलिश करते हैं। तो क्यों न इसकी देखभाल के लिए अपनी त्वचा को खुद पॉलिश करें? यह आपका शरीर है। यह आपका वाहन है। यह आपके सपनो के जंहा में ले जाएगी। इसका रख रखाव रखना जरूरी है।
स्वामी विवेकानंद ने 1890 में कहा था: “गीता सिर्फ पढ़ने से नहीं, बल्कि अपने बाइसेप्स में सुधार करके, फुटबॉल के मैदान पर खेलने से, पूल में तैरने से आप भगवान के अधिक करीब होंगे।”
शरीर को फिट रखे, लेकिन मन को ज्यादा युवा रखे।
प्रो डॉ दिनेश गुप्ता- आनंदश्री
आध्यात्मिक व्याख्याता एवं माइन्डसेट गुरु
मुम्बई