जो नभ को कण समझता है,
जो नभ को कण समझता है,
ग्रीष्म में जो ठिठुरते है,
एक चोट में राह बदलता,
भूमि पर बिखरता है।
अगले कदम से डरता है,
वही मरता है।
बिंदेश कुमार झा
जो नभ को कण समझता है,
ग्रीष्म में जो ठिठुरते है,
एक चोट में राह बदलता,
भूमि पर बिखरता है।
अगले कदम से डरता है,
वही मरता है।
बिंदेश कुमार झा