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27 Aug 2024 · 1 min read

जो नभ को कण समझता है,

जो नभ को कण समझता है,
ग्रीष्म में जो ठिठुरते है,
एक चोट में राह बदलता,
भूमि पर बिखरता है।
अगले कदम से डरता है,
वही मरता है।

बिंदेश कुमार झा

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