जो थोड़ा स्वाभिमानी हो
जो तुम्हे न कभी सम्मान दिया
अवसर पाकर अपमान किया
उसपर इतना न शोर करो।
केवल उसको इग्नोर करो।
जिसकी नजर में आपका मान नहीं
मत जाओ जहाँ सम्मान नहीं ।
पर बचकर रहो दिखावे से
अपनेपन के बहकावे से ।
जो थोड़ा भी स्वाभिमानी हो
अपने गौरव का मानी हो।
जिसमें थोड़ा भी पानी हो।
जो मान की कीमत जानी हो।
वह कभी न सर को झुकाएगा
सम्मान हेतु मर जाएगा ।
विन्ध्य प्रकाश मिश्र विप्र