जो तुम आ जाते एक बार
जो तुम आ जाते एक बार
सिंगार अपना संवार लेती
जो तुम आ जाते एक बार
तन मन तुम पर वार लेती ।
सारे मौसम आते जाते
पर प्रिय क्यों तुम न आते
क्षीण काय विरह में होती
यह वियोगिनी रैन न सोती
आते जो एक बार , जीवन कर न्यौछावर लेती ।
बिन तेरे पावस भी डराये
कौन पिया अब झूला झूलाते
गरज गरज गरजे घन दामिनी
कैसे बीते प्रियवर यामिनी
आते जो एक बार , जी भर मैं कर प्यार लेती ।
वो वेगीले मलय का चलना
पनघट जाती पायल झनकना
दिल खिसिया खिसिया जाता
तिल तिल कर मरता जाता
आते जो एक बार , तनिक तुमको मैं निहार लेती ।
उस चातक सी है प्यास मेरी
कब आये तू है यह आस मेरी
राह तकूँ आजा अब प्रियवर
अब तो बन जा तू दिलवर
आते जो एक बार , मैं कर सोलह श्रृंगार लेती ।