जो तुम्हारी खामोशी को नहीं समझ सकता,
जो तुम्हारी खामोशी को नहीं समझ सकता,
वो क्या खाक तुम्हारे लफ्जों को समझेगा!
यह ज़माना तो है बड़ा संगदिल ए अनु ,
यह तुम्हारी बातों के कुछ ओर ही मतलब निकालेगा।
जो तुम्हारी खामोशी को नहीं समझ सकता,
वो क्या खाक तुम्हारे लफ्जों को समझेगा!
यह ज़माना तो है बड़ा संगदिल ए अनु ,
यह तुम्हारी बातों के कुछ ओर ही मतलब निकालेगा।